श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 21: गोपियों द्वारा कृष्ण के वेणुगीत की सराहना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  10.21.20 
 
 
एवंविधा भगवतो या वृन्दावनचारिण: ।
वर्णयन्त्यो मिथो गोप्य: क्रीडास्तन्मयतां ययु: ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार वृंदावन के जंगल में विचरण के दौरान पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान द्वारा निभाई गई क्रीड़ामयी लीलाओं के बारे में एक-दूसरे से कथाएँ सुनाते हुए गोपियाँ उनके विचारों में पूर्णतया लीन हो गईं।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत इक्कीसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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