श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 21: गोपियों द्वारा कृष्ण के वेणुगीत की सराहना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  10.21.19 
 
 
गा गोपकैरनुवनं नयतोरुदार-
वेणुस्वनै: कलपदैस्तनुभृत्सु सख्य: ।
अस्पन्दनं गतिमतां पुलकस्तरुणां
निर्योगपाशकृतलक्षणयोर्विचित्रम् ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे सखीजनो, जब कृष्ण तथा बलराम अपने ग्वाला मित्रों के साथ जंगलों से अपनी गायों को लेकर गुजरते हैं, तो दूध दुहने के समय गायों की पिछली टाँगों को बांधने के लिए वे नोइयाँ अपने साथ रखते हैं। जब प्रभु कृष्ण अपनी वंशी बजाते हैं, तब मधुर संगीत से चर और अचर जीव एकटक हो जाते हैं तथा वृक्ष हर्ष और उल्लास में झूमने लगते हैं। यह कैसा अद्भुत और आश्चर्यचकित करने वाला दृश्य है!
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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