कृष्णं निरीक्ष्य वनितोत्सवरूपशीलं
श्रुत्वा च तत्क्वणितवेणुविविक्तगीतम् ।
देव्यो विमानगतय: स्मरनुन्नसारा
भ्रश्यत्प्रसूनकबरा मुमुहुर्विनीव्य: ॥ १२ ॥
अनुवाद
कृष्ण का रूप और व्यवहार सभी स्त्रियों के लिए एक प्राकृतिक उत्सव है। देवताओं की पत्नियाँ जब उन्हें उनके पति के साथ हवाई जहाज में देखती हैं और वेणुगीत की गूंजती हुई ध्वनि सुनती हैं तो उनके दिल कामदेव के तीर से छलनी हो जाते हैं और वे इतनी अधिक मोहित हो जाती हैं कि उनके बालों से फूल गिर जाते हैं और उनकी बेल्ट ढीली हो जाती है।