अष्टौ मासान् निपीतं यद् भूम्याश्चोदमयं वसु ।
स्वगोभिर्मोक्तुमारेभे पर्जन्य: काल आगते ॥ ५ ॥
अनुवाद
सूर्य ने अपनी किरणों द्वारा आठ महीने तक पृथ्वी के जल की सम्पत्ति को सोखकर स्वयं में संचित कर लिया था। अब उपयुक्त समय आने पर सूर्य ने उस संचित जल को वापस छोड़ना शुरू कर दिया।