सान्द्रनीलाम्बुदैर्व्योम सविद्युत्स्तनयित्नुभि: ।
अस्पष्टज्योतिराच्छन्नं ब्रह्मेव सगुणं बभौ ॥ ४ ॥
अनुवाद
तदुपरांत, बिजली तथा गरज से युक्त घने नीले बादलों ने आकाश को ढक लिया। इस प्रकार, आकाश और उससे निकलने वाली प्राकृतिक रोशनी उसी तरह ढक गई जैसे आत्मा तीनों प्रकार के भौतिक गुणों से ढक जाती है।