गिरयो मुमुचुस्तोयं क्वचिन्न मुमुचु: शिवम् ।
यथा ज्ञानामृतं काले ज्ञानिनो ददते न वा ॥ ३६ ॥
अनुवाद
इस ऋतु में पहाड़ कभी अपना निर्मल पानी मुक्त करते थे और कभी नहीं करते थे, जिस प्रकार दिव्य विज्ञान ज्ञानी कभी परम ज्ञान का अमृत वितरित करते हैं और कभी कभी नहीं करते।