श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 20: वृन्दावन में वर्षा ऋतु तथा शरद् ऋतु  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  10.20.3 
 
 
तत: प्रावर्तत प्रावृट् सर्वसत्त्वसमुद्भ‍वा ।
विद्योतमानपरिधिर्विस्फूर्जितनभस्तला ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  इसके बाद बरसात का मौसम शुरू हुआ, जिसने सभी जीवों को जीवन और पोषण दिया। आकाश गरजने लगा और क्षितिज पर बिजली चमकने लगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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