श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 2: देवताओं द्वारा गर्भस्थ कृष्ण की स्तुति  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  10.2.8 
 
 
देवक्या जठरे गभन शेषाख्यं धाम मामकम् ।
तत् सन्निकृष्य रोहिण्या उदरे सन्निवेशय ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  देवकी के गर्भ में मेरा अंश संकर्षण या शेष नाम से जाना जाता है। इसे बिना किसी कठिनाई के रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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