श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 2: देवताओं द्वारा गर्भस्थ कृष्ण की स्तुति  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  10.2.42 
 
 
श्रीशुक उवाच
इत्यभिष्टूय पुरुषं यद्रूपमनिदं यथा ।
ब्रह्मेशानौ पुरोधाय देवा: प्रतिययुर्दिवम् ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान विष्णु, जो कि परम पुरुषोत्तम हैं, उनकी स्तुति करने के बाद समस्त देवता, ब्रह्मा जी और शिव जी को आगे करके अपने अपने स्वर्ग-आवासों को लौट गये।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत दूसरा अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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