वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 19: दावानल पान
»
श्लोक 5
श्लोक
10.19.5
मुञ्जाटव्यां भ्रष्टमार्गं क्रन्दमानं स्वगोधनम् ।
सम्प्राप्य तृषिता: श्रान्तास्ततस्ते सन्न्यवर्तयन् ॥ ५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
आखिरकार मुञ्जा वन में ग्वालबालों को उनकी अनमोल गायें मिल गईं, जो अपना रास्ता भूलकर पुकार रही थीं। तब प्यासे और थके हुए ग्वालबाल गायों को वापस घर के रास्ते पर ले आए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.