श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 19: दावानल पान  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.19.5 
 
 
मुञ्जाटव्यां भ्रष्टमार्गं क्रन्दमानं स्वगोधनम् ।
सम्प्राप्य तृषिता: श्रान्तास्ततस्ते सन्न्यवर्तयन् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  आखिरकार मुञ्जा वन में ग्वालबालों को उनकी अनमोल गायें मिल गईं, जो अपना रास्ता भूलकर पुकार रही थीं। तब प्यासे और थके हुए ग्वालबाल गायों को वापस घर के रास्ते पर ले आए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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