श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 19: दावानल पान  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  10.19.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
क्रीडासक्तेषु गोपेषु तद्गावो दूरचारिणी: ।
स्वैरं चरन्त्यो विविशुस्तृणलोभेन गह्वरम् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा : जब ग्वालबाल खेलने में पूरी तरह लीन थे तो उनकी गौवें बहुत दूर चली गईं। ज़्यादा घास खाने के लालच में और कोई न होने के कारण उनकी देखभाल करने के लिए, वे एक घने जंगल में प्रवेश कर गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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