व्रजे विक्रीडतोरेवं गोपालच्छद्ममायया ।
ग्रीष्मो नामर्तुरभवन्नातिप्रेयाञ्छरीरिणाम् ॥ २ ॥
अनुवाद
जब कृष्ण और बलराम इस तरह से साधारण ग्वालों की तरह वेशभूषा में वृंदावन में जीवन का आनंद ले रहे थे तो धीरे-धीरे गर्मियों का मौसम आ गया। यह मौसम सांसारिक प्राणियों के लिए बहुत सुखद नहीं होता है।