भ्रमणैर्लङ्घनै: क्षेपैरास्फोटनविकर्षणै: ।
चिक्रीडतुर्नियुद्धेन काकपक्षधरौ क्वचित् ॥ १२ ॥
अनुवाद
कृष्ण और बलराम चक्कर काटते, कूदते, फेंकते, थपथपाते तथा लड़ते भिड़ते हुए अपने ग्वाल सखाओं के साथ खेलने लगे। कभी-कभी कृष्ण और बलराम बालकों के सिरों की चोटी खींच लेते थे।