श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 18: भगवान् बलराम द्वारा प्रलम्बासुर का वध  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  10.18.11 
 
 
गोपजातिप्रतिच्छन्ना देवा गोपालरूपिणौ ।
ईडिरे कृष्णरामौ च नटा इव नटं नृप ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन्, देवता गोप जाति के सदस्यों का वेश धारण करके नाटक के नर्तक की तरह ही कृष्ण और बलराम की स्तुति करने लगे जो ग्वालबालों के रूप में प्रकट हुए थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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