तं तार्क्ष्यपुत्र: स निरस्य मन्युमान्
प्रचण्डवेगो मधुसूदनासन: ।
पक्षेण सव्येन हिरण्यरोचिषा
जघान कद्रुसुतमुग्रविक्रम: ॥ ७ ॥
अनुवाद
तार्क्ष्यपुत्र ने कालिय के हमले को प्रतिक्षेपित किया और अत्यधिक तेजी के साथ आगे बढ़ा। उस महापराक्रमी भगवान मधुसूदन के वाहन ने कद्रुपुत्र पर अपने स्वर्ण के समान चमकने वाले बाएँ पंख से प्रहार किया।