श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 17: कालिय का इतिहास  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.17.24 
 
 
सुदुस्तरान्न: स्वान् पाहि कालाग्ने: सुहृद: प्रभो ।
न शक्नुमस्त्वच्चरणं सन्त्यक्तुमकुतोभयम् ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, हम आपके सच्चे सखा और भक्त हैं। कृपा करके इस अजेय मृत्यु रूपी अग्नि से हमारी रक्षा करें, हम आपके उन चरणकमलों को कभी नहीं छोड़ सकते जो सभी भय को दूर भगाते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.