श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 17: कालिय का इतिहास  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  10.17.20 
 
 
तां रात्रिं तत्र राजेन्द्र क्षुत्तृड्भ्यां श्रमकर्षिता: ।
ऊषुर्व्रयौकसो गाव: कालिन्द्या उपकूलत: ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  हे नृपश्रेष्ठ (परीक्षित), वृन्दावन के निवासी भूख, प्यास तथा थकान से काफ़ी दुर्बल हो रहे थे, अतः उन्होंने तथा गायों ने कालिन्दी के तट के निकट ही रात बिताई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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