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श्लोक 19
श्लोक
10.17.19
यशोदापि महाभागा नष्टलब्धप्रजा सती ।
परिष्वज्याङ्कमारोप्य मुमोचाश्रुकलां मुहु: ॥ १९ ॥
अनुवाद
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अपने खोए हुए पुत्र को पुनः पाकर परम भाग्यशाली माता यशोदा ने उन्हें अपनी गोद में ले लिया। वह साध्वी बार-बार उन्हें गले लगाती रहीं और उनके गालों पर आँसुओं की धारा बहने लगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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