श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 17: कालिय का इतिहास  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  10.17.16 
 
 
रामश्चाच्युतमालिङ्‌‌ग्य जहासास्यानुभाववित् ।
प्रेम्णा तमङ्कमारोप्य पुन: पुनरुदैक्षत ।
गावो वृषा वत्सतर्यो लेभिरे परमां मुदम् ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान बलराम ने अपने अच्युत भाई को प्यार से बाहों में लिया और कृष्ण की शक्ति को अच्छी तरह जानते हुए हँसने लगे। अत्यधिक प्रेमभाव के कारण बलराम ने कृष्ण को अपनी गोद में उठा लिया और बार-बार उसकी ओर देखा। गौ, साँड और बछियाँ भी परमानंद से भरी हुई थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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