वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 17: कालिय का इतिहास
»
श्लोक 16
श्लोक
10.17.16
रामश्चाच्युतमालिङ्ग्य जहासास्यानुभाववित् ।
प्रेम्णा तमङ्कमारोप्य पुन: पुनरुदैक्षत ।
गावो वृषा वत्सतर्यो लेभिरे परमां मुदम् ॥ १६ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
भगवान बलराम ने अपने अच्युत भाई को प्यार से बाहों में लिया और कृष्ण की शक्ति को अच्छी तरह जानते हुए हँसने लगे। अत्यधिक प्रेमभाव के कारण बलराम ने कृष्ण को अपनी गोद में उठा लिया और बार-बार उसकी ओर देखा। गौ, साँड और बछियाँ भी परमानंद से भरी हुई थीं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.