श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 16: कृष्ण द्वारा कालिय नाग को प्रताडऩा  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  10.16.9 
 
 
तं प्रेक्षणीयसुकुमारघनावदातं
श्रीवत्सपीतवसनं स्मितसुन्दरास्यम् ।
क्रीडन्तमप्रतिभयं कमलोदराङ्‍‍‍‍‍घ्रि
सन्दश्य मर्मसु रुषा भुजया चछाद ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  कालिए ने देखा कि पीत रेशमी वस्त्र पहने श्रीकृष्ण अति कोमल लग रहे थे, उनका आकर्षक शरीर सफ़ेद बादलों की तरह चमक रहा था, उनके सीने पर श्रीवत्स चिह्न था, उनका मुखमंडल मनोहारी हंसी से युक्त था और उनके चरण कमल के फूलों के गुच्छों के समान थे। प्रभु जल में निडर होकर क्रीड़ा कर रहे थे। उनके अद्भुत रूप के बावजूद ईर्ष्यालु कालिये ने क्रोधित होकर उनके सीने पर डस लिया और फिर उन्हें अपने कुंडलियों में पूरी तरह से लपेट लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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