श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 16: कृष्ण द्वारा कालिय नाग को प्रताडऩा  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  10.16.64 
 
 
श्रीऋषिरुवाच
मुक्तो भगवता राजन् कृष्णेनाद्भुतकर्मणा ।
तं पूजयामास मुदा नागपत्‍न्यश्च सादरम् ॥ ६४ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने आगे कहा : हे राजन, कल्याणकारी कार्य करने वाले भगवान कृष्ण के छोड़ने पर कालिय नाग ने अपनी पत्नियों के साथ बहुत हर्ष एवं श्रद्धा से उनकी पूजा की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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