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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 16: कृष्ण द्वारा कालिय नाग को प्रताडऩा
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श्लोक 52
श्लोक
10.16.52
अनुगृह्णीष्व भगवन् प्राणांस्त्यजति पन्नग: ।
स्त्रीणां न: साधुशोच्यानां पति: प्राण: प्रदीयताम् ॥ ५२ ॥
अनुवाद
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हे ईश्वर, कृपा करके हम पर दया कीजिए। अच्छे महापुरुषों के स्वभाव में औरतों के प्रति दयालुता होती ही है। यह सांप अभी-अभी अपनी जान देने वाला है। कृपा करके हमारे जीवन और हमारी आत्मा स्वरूप हमारे पति को हमें वापस कर दीजिए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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