हे सर्वशक्तिमान प्रभु, यद्यपि तुम्हें भौतिक कर्म में फँसने का कोई कारण नहीं है, तथापि तुम अपनी शाश्वत कालशक्ति के माध्यम से इस ब्रह्माण्ड के सृजन, पालन और संहार की व्यवस्था करते हो। तुम इसे सृजन से पहले प्रकृति के प्रत्येक गुण की विशिष्ट कार्य करने की क्षमता को जाग्रत करते हुए सम्पन्न करते हो। इन ब्रह्माण्ड-नियंत्रण के सभी कार्यों को तुम खेल से खेल में मात्र अपनी दृष्टि से ही पूर्णतया सम्पन्न कर लेते हो।