कृष्णप्राणान्निर्विशतो नन्दादीन् वीक्ष्य तं ह्रदम् ।
प्रत्यषेधत् स भगवान् राम: कृष्णानुभाववित् ॥ २२ ॥
अनुवाद
तत्पश्चात भगवान बलराम ने देखा कि कृष्ण को अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले नंद महाराज और बाकी गोप लोग सर्प सरोवर में प्रवेश करने जा रहे हैं। ईश्वर होने के नाते बलराम को कृष्ण की असली शक्ति का पूरा-पूरा ज्ञान था, इसलिए उन्होंने उन सभी को रोक दिया।