श्रीभगवानुवाच
अहो अमी देववरामरार्चितं
पादाम्बुजं ते सुमन:फलार्हणम् ।
नमन्त्युपादाय शिखाभिरात्मन-
स्तमोऽपहत्यै तरुजन्म यत्कृतम् ॥ ५ ॥
अनुवाद
भगवान ने कहा: हे देवेश्वरों में श्रेष्ठ, देखो तो कैसे ये वृक्ष, जिनकी पूजा अमर देवता करते हैं, तुम्हारे चरणों पर अपना सिर झुकाए हुए हैं। ये वृक्ष अपने फलों और फूलों को देकर उस घोर अज्ञान को दूर करना चाहते हैं जिसके कारण उन्हें वृक्ष का जन्म लेना पड़ा है।