स तत्र तत्रारुणपल्लवश्रिया
फलप्रसूनोरुभरेण पादयो: ।
स्पृशच्छिखान् वीक्ष्य वनस्पतीन् मुदा
स्मयन्निवाहाग्रजमादिपूरुष: ॥ ४ ॥
अनुवाद
सृष्टि के आदि देव ने देखा कि शानदार पेड़ अपनी लाल-लाल कलियाँ और फल फूलों के भार से झुककर अपनी डालियों के सिरों से उनके चरण छू रहे हैं। यह देखकर वह हल्के से मुस्कुराए और अपने बड़े भाई से बोले।