श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 15: धेनुकासुर का वध  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  10.15.31 
 
 
पुनरासाद्य संरब्ध उपक्रोष्टा पराक् स्थित: ।
चरणावपरौ राजन् बलाय प्राक्षिपद् रुषा ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन, वो क्रुद्ध गधा फिर से बलराम की ओर बढ़ा और अपनी पीठ उनकी ओर करके खड़ा हो गया। उसके बाद गुस्से में चिल्लाते हुए उस राक्षस ने अपने दोनों पिछले पैरों से उन पर हमला कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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