श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 15: धेनुकासुर का वध  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.15.22 
 
 
फलानि तत्र भूरीणि पतन्ति पतितानि च ।
सन्ति किन्त्ववरुद्धानि धेनुकेन दुरात्मना ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  उस तालवन के वृक्षों पर अनेक प्रकार के फल लगे हुए हैं और कई फल पहले से ही जमीन पर गिर चुके हैं। किंतु उन सभी फलों पर दुष्ट धेनुक पहरा दे रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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