राम राम महाबाहो कृष्ण दुष्टनिबर्हण ।
इतोऽविदूरे सुमहद् वनं तालालिसङ्कुलम् ॥ २१ ॥
अनुवाद
[ग्वाले बोले] हे राम, हे महाबाहु, हे कृष्ण, हे दुष्टों का नाश करने वाले, यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर एक बहुत बड़ा जंगल है जो ताड़ के पेड़ों की पंक्तियों से भरा हुआ है।