क्वचित् क्रीडापरिश्रान्तं गोपोत्सङ्गोपबर्हणम् ।
स्वयं विश्रमयत्यार्यं पादसंवाहनादिभि: ॥ १४ ॥
अनुवाद
जब उनके बड़े भाई खेल-खेल कर थक जाते और किसी ग्वाले के बच्चे की गोद में सिर रखकर लेट जाते, तब भगवान कृष्ण स्वयं बलराम के पैर दबाकर और दूसरी सेवाएँ करके उनकी थकान दूर करते।