वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 14: ब्रह्मा द्वारा कृष्ण की स्तुति
»
श्लोक 56
श्लोक
10.14.56
वस्तुतो जानतामत्र कृष्णं स्थास्नु चरिष्णु च ।
भगवद्रूपमखिलं नान्यद् वस्त्विह किञ्चन ॥ ५६ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस जग में जो लोग भगवान श्री कृष्ण को उनके यथार्थ स्वरूप में समझते हैं, उनके लिए समस्त चर-अचर सृष्टि भगवान का ही व्यक्त रूप है। ऐसे ज्ञानी लोग भगवान श्री कृष्ण के सिवाय किसी अन्य सत्यता को नहीं मानते।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.