जैसे पंखुड़ियों एवं पत्तों से घिरा हुआ कोई कमल-पुष्प कोष होता है, उसी प्रकार बीच में कृष्ण विराजमान थे और उन्हें घेर कर पंक्तियों में उनके मित्र बैठे थे। वे सभी अत्यन्त सुन्दर लग रहे थे। उनमें से हर बालक यह सोच कर कृष्ण की ओर देखने का प्रयास कर रहा था कि शायद कृष्ण भी उसकी ओर देखें। इस प्रकार उन सबों ने जंगल में मध्याह्न भोजन का आनन्द लिया।