अहोऽतिरम्यं पुलिनं वयस्या:
स्वकेलिसम्पन्मृदुलाच्छबालुकम् ।
स्फुटत्सरोगन्धहृतालिपत्रिक-
ध्वनिप्रतिध्वानलसद्द्रुमाकुलम् ॥ ५ ॥
अनुवाद
प्रिय मित्रो, देखो तो यह नदी का किनारा अपने लुभावने वातावरण की वजह से कितना सुहाना लग रहा है। और देखो तो, खिले हुए कमल अपनी खुशबू से भौंरों और पक्षियों को कैसे अपनी ओर खींच रहे हैं। भौंरों की गुनगुनाहट और पक्षियों का चहचहाना जंगल के सभी सुंदर वृक्षों से गूँज रहा है। और यहाँ की रेत कितनी साफ और मुलायम है। इसलिए, इसे हमारे खेल और मनोरंजन के लिए सबसे अच्छी जगह माना जाना चाहिए।