श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 13: ब्रह्मा द्वारा बालकों तथा बछड़ों की चोरी  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  10.13.38 
 
 
इति सञ्चिन्त्य दाशार्हो वत्सान्सवयसानपि ।
सर्वानाचष्ट वैकुण्ठं चक्षुषा वयुनेन स: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार विचार करते हुए भगवान बलराम अपनी दिव्य ज्ञान की नजर से देख पा रहे थे कि ये सारे बछड़े और कृष्ण के साथी श्रीकृष्ण के ही अंश हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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