जीवन के सार को अपनाने वाले परमहंस भक्त अपने अंत:करण से कृष्ण के प्रति अनुरक्त होते हैं और कृष्ण ही उनके जीवन के लक्ष्य होते हैं। हर पल कृष्ण की चर्चा करना ही उनका स्वभाव होता है, मानो ये कथाएँ हमेशा नई लगती हों। वे इन कथाओं के प्रति उसी तरह आकर्षित रहते हैं जैसे भौतिकतावादी लोग स्त्रियों और कामुकता से जुड़ी बातों में आनंद लेते हैं।