श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 12: अघासुर का वध  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  10.12.6 
 
 
यदि दूरं गत: कृष्णो वनशोभेक्षणाय तम् ।
अहं पूर्वमहं पूर्वमिति संस्पृश्य रेमिरे ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  कभी-कभी कृष्ण जंगल की सुंदरता देखने के लिए थोड़ा दूर निकल जाते थे। तो उनके साथ जाने के लिए सारे बालक यह कहते हुए दौड़ते थे, "मैं कृष्ण को सबसे पहले छूकर आऊँगा! मैं सबसे पहले कृष्ण को छूऊँगा!" इस तरह वे बार-बार कृष्ण को छूकर जीवन का आनंद लेते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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