संतों एवं भक्तों में श्रेष्ठ शौनक, जब महाराज परीक्षित ने शुकदेव गोस्वामी से इस प्रकार प्रश्न किया, तब शुकदेव गोस्वामी ने तुरंत अपनी इन्द्रियों के कार्यों से अपना बाहरी सम्पर्क तोड़ लिया और अपने हृदय में कृष्ण-लीलाओं का स्मरण करने लगे। इसके पश्चात्, बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपनी बाहरी चेतना को वापस प्राप्त किया और महाराज परीक्षित से कृष्ण-कथा के विषय में बातें करने लगे।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत बारहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।