श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 12: अघासुर का वध  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  10.12.4 
 
 
फलप्रबालस्तवकसुमन:पिच्छधातुभि: ।
काचगुञ्जामणिस्वर्णभूषिता अप्यभूषयन् ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  इन बटुकों को माँ ने काच, गुञ्जा, मोती और सोने के गहने पहनाकर सुजा के भेजा था, पर जंगल में जाकर फिर इन्होंने खुद को फल, हरी पत्तियाँ, फूल के गुच्छे, मोर के पंख और गेरू से सजाया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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