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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 12: अघासुर का वध
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श्लोक 36
श्लोक
10.12.36
राजन्नाजगरं चर्म शुष्कं वृन्दावनेऽद्भुतम् ।
व्रजौकसां बहुतिथं बभूवाक्रीडगह्वरम् ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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हे राजा परीक्षित, अघासुर की अजगर जैसी देह जब मात्र एक विशाल चमड़े में सूख गयी, तो वह वृन्दावनवासियों के घूमने-देखने के लिए अद्भुत स्थान बन गई और बहुत दिनों तक ऐसी ही बनी रही।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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