श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 12: अघासुर का वध  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.12.22 
 
 
आस्तृतायाममार्गोऽयं रसनां प्रतिगर्जति ।
एषामन्तर्गतं ध्वान्तमेतदप्यन्तराननम् ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  इस पशु की जीभ चौड़े यातायात-मार्ग के समान लम्बी और चौड़ी है, और उसके मुंह का अंदरूनी भाग अत्यंत अंधेरा है, मानो पहाड़ के अंदर की गुफा हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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