श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 12: अघासुर का वध  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  10.12.20 
 
 
सत्यमर्ककरारक्तमुत्तराहनुवद् धनम् ।
अधराहनुवद्रोधस्तत्प्रतिच्छाययारुणम् ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  तब उन्होंने निश्चय किया : मित्रो, यह निश्चय रूप से हम सब को निगल जाने के लिए यहाँ बैठा हुआ कोई जानवर है। इसका ऊपर का होठ सूरज की किरणों से लाल हुए बादल जैसा है और नीचे का होठ बादल की लाल-लाल परछाई जैसा लगता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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