सत्यमर्ककरारक्तमुत्तराहनुवद् धनम् ।
अधराहनुवद्रोधस्तत्प्रतिच्छाययारुणम् ॥ २० ॥
अनुवाद
तब उन्होंने निश्चय किया : मित्रो, यह निश्चय रूप से हम सब को निगल जाने के लिए यहाँ बैठा हुआ कोई जानवर है। इसका ऊपर का होठ सूरज की किरणों से लाल हुए बादल जैसा है और नीचे का होठ बादल की लाल-लाल परछाई जैसा लगता है।