श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 12: अघासुर का वध  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  10.12.19 
 
 
अहो मित्राणि गदत सत्त्वकूटं पुर: स्थितम् ।
अस्मत्सङ्ग्रसनव्यात्तव्यालतुण्डायते न वा ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  बालकों ने कहा : मित्रो, क्या यह मृत है या सचमुच यह जीवित अजगर है, जिसने हम सबों को निगलने के लिए अपना मुँह फैला रखा है? इस शंका को दूर करो न!
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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