वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 11: कृष्ण की बाल-लीलाएँ
»
श्लोक 56
श्लोक
10.11.56
अथाप्यभिभवन्त्येनं नैव ते घोरदर्शना: ।
जिघांसयैनमासाद्य नश्यन्त्यग्नौ पतङ्गवत् ॥ ५६ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
यद्यपि मृत्यु के देवता दैत्य अत्यंत भयावह थे फिर भी वे बालक कृष्ण को मार नहीं पाए। क्योंकि वे निरपराध बालकों को मारने आए थे इसलिए ज्योंही वे उनके पास पहुंचे वैसे ही वे मारे गए जैसे आग पर आक्रमण करने वाले पतंगे मारे जाते हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.