श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 11: कृष्ण की बाल-लीलाएँ  »  श्लोक 56
 
 
श्लोक  10.11.56 
 
 
अथाप्यभिभवन्त्येनं नैव ते घोरदर्शना: ।
जिघांसयैनमासाद्य नश्यन्त्यग्नौ पतङ्गवत् ॥ ५६ ॥
 
अनुवाद
 
  यद्यपि मृत्यु के देवता दैत्य अत्यंत भयावह थे फिर भी वे बालक कृष्ण को मार नहीं पाए। क्योंकि वे निरपराध बालकों को मारने आए थे इसलिए ज्योंही वे उनके पास पहुंचे वैसे ही वे मारे गए जैसे आग पर आक्रमण करने वाले पतंगे मारे जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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