श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 11: कृष्ण की बाल-लीलाएँ  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  10.11.51 
 
 
तमापतन्तं स निगृह्य तुण्डयो-
र्दोर्भ्यां बकं कंससखं सतां पति: ।
पश्यत्सु बालेषु ददार लीलया
मुदावहो वीरणवद् दिवौकसाम् ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  जब वैष्णवों के सरताज श्री कृष्ण ने देखा कि कंस का मित्र बकासुर उन पर वार करने की कोशिश कर रहा है तो उन्होंने अपने दोनों हाथों से बकासुर की चोंच को पकड़ लिया और सभी ग्वालों की उपस्थिति में उसे दो हिस्सों में फाड़ दिया, जैसे बच्चे वीराण घास के पौधे को फाड़ देते हैं। इस तरह दैत्य को मारकर श्री कृष्ण ने स्वर्ग के निवासियों को बहुत प्रसन्न किया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.