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श्लोक 47
श्लोक
10.11.47
ते तत्र ददृशुर्बाला महासत्त्वमवस्थितम् ।
तत्रसुर्वज्रनिर्भिन्नं गिरे: शृङ्गमिव च्युतम् ॥ ४७ ॥
अनुवाद
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जलाशय के निकट ही बालकों ने एक विशाल शरीर देखा जो पर्वत की चोटी के समान था, जिसे जैसे वज्र ने तोड़कर नीचे गिरा दिया हो। इतने विशाल जीव को देखकर वे डर गए थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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