श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 11: कृष्ण की बाल-लीलाएँ  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  10.11.27 
 
 
यावदौत्पातिकोऽरिष्टो व्रजं नाभिभवेदित: ।
तावद्बालानुपादाय यास्यामोऽन्यत्र सानुगा: ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  ये सब उपद्रव एक अज्ञात राक्षस के कारण हो रहे हैं। इससे पहले कि वह दूसरा उपद्रव करने आए, यह हमारा कर्तव्य है कि हम तब तक बच्चों को लेकर कहीं और चले जाएँ जब तक ये उपद्रव बंद न हो जाएँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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