श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 11: कृष्ण की बाल-लीलाएँ  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  10.11.13 
 
 
नोपेयातां यदाहूतौ क्रीडासङ्गेन पुत्रकौ ।
यशोदां प्रेषयामास रोहिणी पुत्रवत्सलाम् ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  रोहिणी जी के बुलाने पर भी कृष्ण और बलराम वापस नहीं आये क्योंकि वे अन्य बालकों के साथ खेलने में मगन थे। तब रोहिणी माता ने कृष्ण और बलराम को वापस बुलाने के लिए यशोदा जी को भेजा क्योंकि यशोदा जी कृष्ण और बलराम पर बहुत स्नेह करती थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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