श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 1: भगवान् श्रीकृष्ण का अवतार: परिचय  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  10.1.64 
 
 
एतत् कंसाय भगवाञ्छशंसाभ्येत्य नारद: ।
भूमेर्भारायमाणानां दैत्यानां च वधोद्यमम् ॥ ६४ ॥
 
अनुवाद
 
  एक बार के समय महान संत नारद कंस के पास गए और उसे यह पता दिया कि किस प्रकार पृथ्वी के अत्यधिक बोझस्वरूप असुर व्यक्तियों का वध किया जाने जा रहा है। इस प्रकार कंस को अत्यधिक भय और संदेह हो गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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