श्रीशुक उवाच
सम्यग्व्यवसिता बुद्धिस्तव राजर्षिसत्तम ।
वासुदेवकथायां ते यज्जाता नैष्ठिकी रति: ॥ १५ ॥
अनुवाद
श्रील शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजाओं में श्रेष्ठ, क्योंकि तुम वासुदेव की कथाओं में बहुत अधिक आकर्षित हो, इसलिए निश्चित रूप से तुम्हारी बुद्धि आध्यात्मिक ज्ञान में स्थिर है, जो मानवता का एकमात्र वास्तविक लक्ष्य है। चूंकि यह आकर्षण कभी खत्म नहीं होता, इसलिए निश्चित रूप से यह उत्कृष्ट है।