श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 1: सृष्टि  »  अध्याय 9: भगवान् कृष्ण की उपस्थिति में भीष्मदेव का देह-त्याग  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  1.9.21 
 
 
सर्वात्मन: समद‍ृशो ह्यद्वयस्यानहङ्‍कृते: ।
तत्कृतं मतिवैषम्यं निरवद्यस्य न क्‍वचित् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान होने के नाते, वे प्रत्येक हृदय में निवास करते हैं। वे सभी पर समान रूप से अनुग्रह करते हैं और भेदभाव के झूठे अहंकार से सर्वथा मुक्त हैं। इसलिए, वे जो कुछ भी करते हैं, वह भौतिक उन्माद से मुक्त होता है। वे समदर्शी हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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